Krishna Bai Ki Katha कृष्णा बाई की कथा

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कृष्णा बाई की कथा

Krishna Bai Ki Katha

कृष्णा बाई की कथा

आध्यात्मिक प्रंसग

 

 

 

एक गांव में कृष्णा बाई नाम की एक वृद्धा महिला रहती थी वह भगवान श्रीकृष्ण की परमभक्त थी। कृष्णा बाई एक झोपड़ी में रहती थी। वैसे तो कृष्णा बाई का वास्तविक नाम सुखिया था पर कृष्ण भक्ति के कारण इनका नाम गांव वालों ने कृष्णा बाई ही रख दिया।

घर घर में झाड़ू पोछा, बर्तन साफ करना और खाना बनाना ही इनका काम था। कृष्णा बाई प्रतिदिन अपने हाथों से फूलों की माला बनाकर दोनों समय श्री कृष्ण जी को पहनाती थी और घण्टों कान्हा से बाते करती रहती थी। गांव के लोग यहीं सोचते थे कि ये वृद्धा तो पागल है 

एक रात श्री कृष्ण जी ने अपनी भक्त कृष्णा बाई से स्वप्न में कहा कि कल बहुत बड़ा भूचाल आने वाला है तुम यह गांव छोड़ कर पास के ही दूसरे गांव में चली जाओ। 

अब क्या था मालिक का आदेश था कृष्णा बाई ने अपना सामान इकट्ठा करना शुरू किया और साथ ही सीधी सरल कृष्णा बाई ने गांव वालों को भी बताया कि कल सपने में कान्हा आए थे और मुझे कहा की कल बहुत प्रलय होगी इसलिए तुम पास के गाव में चली जाओ। 

अब लोग कहाँ उस बूढ़ी पागल की बात मानने वाले थे जो सुनता वहीं जोर जोर से ठहाके लगाता। इतने में बाई ने एक बैलगाड़ी मंगाई और अपने कान्हा की प्रतिमा और सामान की एक गठरी बांध कर गाड़ी में बैठ गई। लोग उसकी मूर्खता पर हंसते रहे। 

बाई जाने लगी बिल्कुल अपने गांव की सीमा पार कर अगले गांव में प्रवेश करने ही वाली थी कि उसे कृष्ण की आवाज आई – अरे पगली जा अपनी झोपड़ी में से वह सुई तो ले आ जिससे तू माला बनाकर मुझे पहनाती है।

यह सुनकर बाई बेचैन हो गई तड़प गई कि मुझसे भारी भूल कैसे हो गई अब मैं कान्हा की माला कैसे बनाऊंगी? 

उसने गाड़ी वाले को वहाँ रोका और बदहवास अपने झोपड़ी की तरफ भागी। गांव वाले उसके पागलपन को देखते और खूब मजाक उडाते। 

बाई ने झोपड़ी में जाकर तिनकों में फंसे सुई को निकाला और फिर पागलो की तरह दौडते हुए गाड़ी के पास आई। गाड़ी वाले ने कहा कि माई तू क्यों परेशान हैं कुछ नही होना। बाई ने कहा अच्छा अब जल्दी अपने गांव की सीमा पार कर दूसरे गाँव मे चलो। गाड़ी वाले ने ठीक ऐसे ही किया। 

लेकिन अरे यह क्या…. ? जैसे ही सीमा पार हुई पूरा गांव ही धरती में समा गया। सब कुछ जलमग्न हो गया।*

गाड़ी वाला भी अटूट कृष्ण भक्त था। येन केन प्रकरेण भगवान ने कृष्णा बाई के साथ उस गाड़ी वाले की रक्षा करने में भी कोई विलम्ब नहीं किया।

इस कथा का एक महत्वपूर्ण बिंदु देखिए कि भगवान जी  जब अपने भक्त की मात्र एक सुई तक की इतनी चिंता करते हैं तो वह भक्त की रक्षा के लिए कितना चिंतित होते होंगे। जब तक उस भक्त की एक सुई उस गांव में थी पूरा गांव बचा था।

इसीलिए कहा जाता है कि

भरी बदरिया पाप की बरसन लगे अंगार,

संत न होते जगत में जल जाता संसार..!!

   जय जय श्री राधे


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