Shri Ganesh Stuti Lyrics
Ganesh Chaturthi Special
नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम्
Namami Te Gajananan Lyrics in Hindi
नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम्
समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम्
मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिपम्
नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥१॥
भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम्
बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम्
धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम्
भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥२॥
गजवदन शोभितं मोदकं सदा प्रियम्
वक्रतुण्ड धारकं कृष्णपिच्छ मोहनम्
विकटरूप धारिणं देववृन्द वन्दितम्
स्मरामि विघ्नहारकं मम बन्ध मोचकम्॥३॥
सुराणां प्रधानं मूषक वाहनम्
रिद्धि सिद्धि संयुतं भालचन्द्र शोभनम्
ज्ञानिनां वरिष्ठं इष्ट फल प्रदायकम्
सदा भावयामि त्वां सगुण रूप धारिणम् ॥४॥
सर्व विघ्न हारकं समस्त विघ्न वर्जितम्
विकट रूप शोभनं मनोज दर्प मर्दनम्
*सगुण रूप मोहनं गुणत्रय अतीतम्
नमामि ते नमामि ते मम प्रिय गणेशम्॥५॥
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Namami Te Gajananan Lyrics in English
namaami te gajaananan anant mod daayakam
samast vighn harakan samast agh vinaashakam
mudaakaran sukhaakaran mam priy ganaadhipam
namaami te vinaayakan hrd kamal nivaasinam.1.
bhukti mukti daayakan samast klesh vaarakam
buddhi bal pradaayakan samast vighn harakam
dhoomavarn shobhanan ek dant mohanam
bhajaami te krpaakaran mam hrday virinam.2.
gajavadan shobhitan modakan sada priyam
vakratund dhaarakan krshnapichchh mohanam
vikataroop dhaarinan devavrnd vanditam
smaraami vighnahaarakan mam bandh mochakam .3.
suraanaan pradhaanan mooshak vaahanam
riddhi siddhi sanyutan bhaalachandr shobhanam
gyaaninaan bujurgan isht phal pradaayakamy
sada bhaavayaami tvaan sagun roop dhaarinam 4.
sarv vighn harakan samast vighn varjitam
vikat roop shobhanan manoj darpamaradanam
*sagun roop mohanan gunatray ghatanaam
namaami te namaami te mam priy ganesham.5.
वन्दे गजेन्द्रवदनं स्तुति लिरिक्स
वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।
कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम् ॥ १॥
विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम् ।
सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम् ॥ २॥
गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,
लच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् ।
लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,
शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥ ३॥
गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,
सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम् ।
सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,
शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम् ॥ ४॥
विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,
विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः ।
विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,
विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥ ५॥
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