Shri Krishna Leela
गोपियों द्वारा मैया को कन्हैया का उलाहना
श्री कृष्ण लीला
Shri Krishna Leela: गोपियों द्वारा मैया को कन्हैया का उलाहना भगवान रोज गोपियों के घर माखन चुराने के लिए जाते है। साथ में उनकी मित्र मण्डली भी होती है। गोपियाँ प्रतिदिन लाला की शिकायत लेकर माँ यशोदा के पास जाती थी। गोपियों की रोज रोज की शिकायत से मैया के कान पक गए। तंग आकर माँ यशोदा ने कन्हैया को आज घर में ही रखा है। बाहर नही निकलने दिया।
जब सुबह से शाम हो गई गोपियों को कान्हा के दर्शन नही हुए तो सभी गोपियाँ सोचने लगी की आज कन्हैया कहाँ है? गोपियों को पता चला की आज माँ ने लाला को घर में बंद कर रखो है। गोपियाँ छटपटाने लगी। क्योंकि गोपियाँ कृष्ण दर्शन के बिना नही रह सकती। तो सभी गोपियाँ मिलकर उलहना देने के बहाने नन्द के द्वार पर गई है।
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और जाकर माँ यशोदा से कहती है अरी ब्रजरानी! लाला कहाँ है सुबह से दिखाई नही दे रहे है। यशोदा बोली की कहा बात हे गई।
गोपियाँ बोली की आज हम उलाहना लेके आई है।
एक गोपी बोली की तेरे लाला असमय में जाकर बछड़ो को खोल देते है। और बछड़े जाकर गाय का दूध पी लेते है और जब हम दूध निकलने जाती है तो गइया दूध नही देती लात मारती है।
तो हमारी दोहनी की दोहनी फूटे और कोहनी की कोहनी टूटे।
यशोदा बोली अरी गोपियों मेरो छोटो सो लाला है और तुम कितनी बड़ी है तो मेरे लाला को डांटा करो फटकारा करो।
गोपियाँ कहती है की ब्रजरानी जब हम तेरे लाला की और लाल आँखे निकल कर डरती है फटकारती है तो ये हमारी और देख कर हंसने लगता है।
पर इनकी हंसी को देख कर हमें भी हंसी आ जाती है। (एक बात याद रखना बंधुओ, प्रभु के सामने आप जाकर खड़े हो जाओ। आप चाहे कितना भी गुस्से में क्यों ना हो, आपका गुस्सा उसी समय खत्म हो जायेगा और आप हंसने लग जाओगे।)
इतनी ही नही खुद भी माखन कहते है और मोर बंदरो को भी खिलते है। माखन तो कहते ही है और माखन की मटकी फोड़ देते है।
इतनी ही नही ब्रजरानी अगर घर में माखन खाने को नही मिलता तो हमारे सोते हुए बच्चों को चुकोटी भर के भाग जाते है।
प्रभु पीछे खड़े होकर शिकायत सुन रहे है।मैया ने लाला का हाथ पकड़ा और बोली लाला, देख ये सब गोपियाँ तेरी शिकायत करने आई है। तू इनके यहाँ जाकर माखन चुरावे है।
भगवान बोले की आज तो अकेला पड़ गया हूँ कोई सखा भी साथ नहीं है। जितना समझाऊगा उतना मुसीबत में पडूगा।
तो मैया लाला को समझा रही है की चोरी करना बुरी बात है।
अरे माखन की चोरी छोर सांवरे मैं समझाऊं तोय।
Maiya Mori Main Nhi makhan khayo
भावार्थ : मैया, ये गोपियाँ झूठ बोले है। मैंने माखन नही खाया है। मैं सुबह गइया चराने जाता हूँ और श्याम को घर आता हूँ। मुझे तो ऐसा लगता है कि इन ग्वाल-बालों ने ही बलात् मेरे मुख पर माखन लगा दिया है। फिर बोले कि मैया तू ही सोच, तूने यह छींका किना ऊंचा लटका रखा है और मेरे हाथ कितने छोटे-छोटे हैं। इन छोटे हाथों से मैं कैसे छींके को उतार सकता हूँ। मैया तू बहुत भोली है ये सब झूठ बोल रहे है। मैया अब में गइया चराने भी नही जाँऊगा। सूरदास कहते हैं कि कन्हैया की इस चतुराई को देखकर यशोदा मन ही मन मुस्कराने लगीं और कन्हैया को गले से लगा लिया।
माँ कहती है सच सच बता लाला तूने माखन खायो की नहीं खायो तुझे मेरी सौगंध है।
माँ की बात सुनकर कन्हैया बोले की हाँ मैया मैंने ही माखन खायो।
माँ बोली देखो गोपियों जितनो जाको मेरे लाला ने खायो है। मैं नन्द द्वार पर बाट लेके बैठी हु। जितना जिसका खाया है वो ले जाओ।
तोल तोल लियो बीर जितनो जाको खायो है पर गारी मत दीजो मोह गरीबनी को जायो है।
माँ कहती है गोपियों तुम गाली मत दीजो, क्योंकि मुश्किल से मुझे कन्हैया मिले है। तुम्हारा जितना माखन खाया है मैं तुम्हे तोल-तोल के दे दूंगी।
और माँ की आँखों में आंसू आ गए है। गोपियाँ बोली की ऐसी बात नहीं है यशोदा ये लाला तो हमारा भी है। केवल आपका ही नही है। ये सारे ब्रज का है। यशोदा हम उलाहना देने के बहाने इसका दर्शन करने आई है। उलहना तो केवल बहाना है दर्शन जो हमे पाना है।
गोपियाँ कहती है कोई किसी के बाल पर मरता है , कोई किसी की चाल पर मरता है कोई किसी के गाल पर मरता है
पर हम तो बस नन्द के लाल पर ही मरती है। ये हमारा जीवन धन है।
बोलिए माखन चोर भगवान की जय !!
Makhan Chor Bhagwan ki jai
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