Bhagwan Vishnu क्या आप जानते है माता लक्ष्मी हमेशा भगवान विष्णु के चरणों मे ही क्यों रहती है?1

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क्या आप जानते है माता लक्ष्मी हमेशा भगवान विष्णु के चरणों मे ही क्यों रहती है?

Bhagwan Vishnu

Lakshmi Mata

भगवान विष्णु

माता लक्ष्मी हमेशा भगवान विष्णु के चरणों मे ही क्यों रहती है

 

हम सभी ने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के कई चित्र देखें हैं। अनेक चित्रों में भगवान विष्णु को बीच समुद्र में शेषनाग के ऊपर लेटे और माता लक्ष्मी को उनके चरण दबाते हुए दिखाया जाता है।

माता लक्ष्मी यूं तो धन की देवी हैं तो भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही निवास करती हैं ऐसा क्यों? इसका कारण हैं कि भगवान विष्णु कर्म व पुरुषार्थ का प्रतीक हैं और माता लक्ष्मी उन्हीं के यहां निवास करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटते और कर्म व अपने पुरुषार्थ के बल पर विजय प्राप्त करते हैं जैसे कि भगवान विष्णु।

हर व्यक्ति देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए कई तरह के जतन करता है। जिसे धन प्राप्त नहीं होता वह भाग्य को दोष देता है। जो ईमानदारी और कड़ी मेहनत से कर्म करता है, उससे धन की देवी लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती हैं और सदैव पैसों की बारिश करती हैं। इसी वजह से कहा जाता है कि महालक्ष्मी व्यक्ति के भाग्य से नहीं कर्म से प्रसन्न होती हैं।

महालक्ष्मी सदैव भगवान विष्णु की सेवा में लगी रहती हैं, शास्त्रों में जहां-जहां विष्णु और लक्ष्मी का उल्लेख आता है वहां लक्ष्मी श्री हरि के चरण दबाते हुए ही बताई गई हैं। विष्णु ने उन्हें अपने पुरुषार्थ के बल पर ही वश में कर रखा है। लक्ष्मी उन्हीं के वश में रहती है जो हमेशा सभी के कल्याण का भाव रखता हो।

समय-समय पर भगवान विष्णु ने जगत के कल्याण के लिए जन्म लिए और देवता तथा मनुष्यों को सुखी किया। विष्णु का स्वभाव हर तरह की मोह-माया से परे है। वे दूसरों को मोह में डालने वाले हैं। समुद्र मंथन के समय उन्होंने देवताओं को अमृत पान कराने के लिए असुरों को मोहिनी रूप धारण करके सौंदर्य जाल में फंसाकर मोह में डाल दिया।

मंथन के समय ही लक्ष्मी भी प्रकट हुईं। देवी लक्ष्मी को प्राप्त करने के लिए देवता और असुरों में घमासान लड़ाई हुई। भगवान विष्णु ने लक्ष्मी का वरण किया। लक्ष्मी का स्वभाव चंचल है, उन्हें एक स्थान पर रोक पाना असंभव है। फिर भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही रहती है। 

जब भी अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान विष्णु अवतार लेकर अधर्मियों का नाश करते हैं और कर्म का महत्व दुनिया को समझाते हैं। इसका सीधा-सा अर्थ यह है कि केवल भाग्य पर निर्भर रहने से लक्ष्मी (पैसा) नहीं मिलता।

धन के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ती है, साथ ही हर विपरीत परिस्थिति से लड़ने का साहस भी आपने होना चाहिए। तभी लक्ष्मी आपके घर में निवास करेगी।

जो व्यक्ति लक्ष्मी के चंचल और मोह जाल में फंस जाता है लक्ष्मी उसे छोड़ देती है। जो व्यक्ति भाग्य को अधिक महत्व देता है और कर्म को तुच्छ समझता है, लक्ष्मी उसे छोड़ देती हैं। विष्णु के पास जो लक्ष्मी हैं वह धन और सम्पत्ति है। भगवान श्री हरि उसका उचित उपयोग जानते हैं। इसी वजह से महालक्ष्मी श्री विष्णु के पैरों में रहती हैं।


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