Papmochni Ekadashi Vrat Katha पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

Papmochni Ekadashi Vrat Katha

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

व्रत और त्योहारों की कथाएँ


 पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा

धर्मराज युधिष्‍ठिर बोले- हे जनार्दन! चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी विधि क्या है? कृपा करके आप मुझे बताइए। 

श्री भगवान बोले हे राजन् – चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम पापमोचनी एकादशी है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्‍य के सभी पापों का नाश हो जाता हैं, यह सब व्रतों से उत्तम व्रत है, इस पापमोचनी एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन करने से समस्त पापों का नाश हो जाता हैं। एक समय देवर्षि नारदजी ने जगत् पिता ब्रह्माजी से कहा महाराज, आप मुझसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का विधि विधान बताइये। 

Papmochni Ekadashi Vrat Katha

ब्रह्माजी कहने लगे कि हे नारद, चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी पापमोचनी एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता हैं। इसकी कथा इस प्रकार है ध्यान पूर्वक सुनो, प्राचीन काल में चित्ररथ नामक एक रमणिक वन था। इस वन में देवराज इन्द्र गंधर्व कन्याओं तथा देवताओं के साथ स्वच्छंद विहार करते थे। 

एक बार मेधावी नामक ऋषि भी वहाँ पर तपस्या कर रहे थे। वे ऋषि शिवजी के उपासक थे, एक बार कामदेव ने मुनि का तप भंग करने के लिए उनके पास मंजुघोषा नामक अप्सरा को भेजा, युवावस्था वाले मुनि ने अप्सरा के हाव भाव, नृत्य, गीत तथा कटाक्षों पर मोहित हो गए। रति-क्रीडा करते हुए सतावन वर्ष व्यतीत हो गए। 

एक दिन मंजुघोषा ने देवलोक जाने की आज्ञा माँगी। उसके द्वारा आज्ञा माँगने पर मुनि को आत्मज्ञान हुआ कि मुझे रसातल में पहुँचाने वाली अप्सरा मंजुघोषा ही हैं, ऋषि ने क्रोधित होकर मंजुघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया। 

जब मंजुघोषा ने श्राप सुना तो काँपते हुए ऋषि से कहा आप मुझे इस श्राप से मुक्ति का उपाय बता दीजिए। तब मुनिश्री ने पापमोचनी एकादशी का व्रत करने को कहा, और अप्सरा को मुक्ति का उपाय बताकर पिता च्यवन के आश्रम में चले गए, पुत्र के मुख से श्राप देने की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की घोर निन्दा की तथा उन्हें पापमोचनी एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी, व्रत के प्रभाव से मंजुघोष अप्सरा पिशाचनी देह से मुक्त होकर देवलोक चली गई। 

अत: हे नारद, जो कोई भी मनुष्य विधिपूर्वक इस व्रत को करेगा तो उसके सारे पाप नष्ट होना निश्चित है, और जो कोई इस व्रत के महात्म्य को पढ़ता या सुनता है तो उसे सारे संकटों से मुक्ति मिल जाती है।

हम उम्मीद करते हैं की आपको यह पापमोचनी एकादशी व्रत कथा / Papmochni Ekadashi Vrat Katha पसंद आयी होगी। इस प्रकार की व्रत और त्योहारों की कथा को पढ़ने और सुनने के लिए पधारे। इस व्रत कथा के बारे में आपके क्या विचार हैं हमें कमेंट करके जरूर बताये।

व्रत और त्योहारों की कथा के लिए HindiKathaBhajan.com पर पधारे। धन्यवाद

Leave a Comment