गौर पूर्णिमा महोत्सव Gaur Purnima Mahostav


Gaur Purnima Mahostav


गौर पूर्णिमा महोत्सव

 

 अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) चैतन्य महाप्रभु के अवतरण दिवस पर दो दिवसीय गोर पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर शास्त्रों के अनुसार वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए गौर-निताई का विभिन्न द्रव्यों से महाअभिषेक किया गया। अभिषेक के दौरान ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्द विग्रहः। अनादिरादि गोविन्दः सर्वकारण कारणम्॥ (श्री कृष्ण परम ईश्वर हैं तथा सच्चिदानन्द हैं। वे आदि पुरुष गोविन्द समस्त कारणों के कारण हैं।) जैसे कई प्रमाणिक श्लोकों का पाठ कर महाअभिषेक किया गया। अपने गोर वर्ण के कारण श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु को गोरांग और उनके साथ अवतरित बलरामजी को निताई कहा जाता है।

इस्कॉन भजन आरती

चैतन्य महाप्रभु का जन्म सन 1486 की फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा को पश्चिम बंगाल के नवद्वीप (नादिया) नामक गांव में हुआ था, जिसे अब मायापुर कहा जाता है। इस्कॉन चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं का अनुगमन करता है और उनके द्वारा चलाए गए हरे कृष्ण संकीर्तन आंदोलन को चला रहा है। महोत्सव के तहत मंदिर को पुष्पों और रंगीन लाइटों से सजाया गया।  इस मौके पर जोरदार हरे कृष्ण संकीर्तन किया गया, जिसमें उपस्थित भक्तों ने उत्साह से भाग लिया। गौड़ीय वैष्णव परंपरा के अनुसार चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिवस के साथ नया साल भी शुरू होता है। भक्तों ने एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई दी।

 
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  प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी श्रीश्री राधा गोविंद जी मंदिर ( इस्कॉन ) जोधपुर में 28 मार्च 2021 दिन रविवार को बड़े ही धूमधाम से गौर पूर्णिमा महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ । कार्यकम का शुभारम्भ इस्कॉन में श्री चैतन्य महाप्रभु का अभिषेक एंव पूजन करके किया गया। जिसके बाद क्रमनुसार अन्य सभी कार्यकम संपन्न हुए गौर कथा के साथ ही भगवान का भजन, कीर्तन तथा नृत्य आदि हुआ । कार्यकम का समापन शयन आरती तथा भोजन प्रसाद (भण्डारा) के साथ हुआ | श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव दिवस सभी भक्तों ने बड़े ही हर्षाउल्लास के साथ मनाया ।

अंत मे उन्होनें सभी लोगों से अधिक से अधिक हरे कृष्ण महामंत्र एव गीता के पाठ का स्वध्यायकरने के लिए कहा और जिससे समस्त जनमानस का कल्याण होगा ।

Samsar Davanal Lyrics Aarti
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गौर कथा में मंदिर के अध्यक्ष सुंदरलाल प्रभु जी ने बताया कि इस कलयुग में आज से करीब 500 वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण स्वय इस धरा-धाम पर श्री चैतन्य महापभु के रूप में लोगां का कल्याण करने के लिए अवतरित हुऐ तथा उन्होनें हरिनाम संकीर्तन के महत्व को पूरे भारतवर्ष मे फैलाया और उनके अनुसार :- ” हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे , हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे ।“ यह महामंत्र सबसे ज्यादा मधुर और भगवान को प्रिय हैं और इसी परम्परा को आगे बढाते हुये उनके सेनापति के रूप में श्रील प्रभुपाद जी ने सम्पूर्ण विश्व मे हरीनाम एंव हरे कृष्ण महामंत्र तथा श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षा का प्रचार जनमानस मे किया।


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