धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनतेरस की कथा Dhanteras Kyo Manaya Jata He


Dhanteras Kyo Manaya Jata He


धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

धनतेरस की कथा

1. धनतेरस की कथा जिनसे बढ़ता है धन

आज देश भर में धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है धन और तेरस जिसका अर्थ लगाया जाता है धन को 13 गुना करना। इसमें तेरस संस्कृति भाषा के त्रयोदस का हिंदी वर्जन है। कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तारीख के दिन इस त्योहार को मनाया जाता है। आज धनतेरस का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है।

आज भक्त मां लक्ष्मी, यम, धनवंतरि और कुबेर देवता की पूजा से उनकी कृपा हासिल करेंगे। माना जाता है कि धनतेरस और दीपावली पर खरीदारी से किस्मत तो चमकती ही है, साथ ही घर में पूरे साल धन की वर्षा होती रहती है। इस दिन सोने और बर्तन की खरीदारी को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

Aaadhyatmik Prerak Prasang
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2. सुख, समृद्धि का प्रतीक है धनतेरस

आज का दिन विशेष है और इसका हर एक पल शुभ है। जहां तक पूजा-पाठ की बात है, तो यह पर्व मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर को समर्पित है। सोने और बर्तन की खरीदारी को शुभ और समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तारीख के दिन इस त्योहार को मनाया जाता है। इस दिन भक्त यमराज, धन के स्वामी भगवान कुबेर, आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धनवंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा पूरे विधि-विधान से करते हैं। भगवान धनवंतरि जन्म भी इसी दिन होने के कारण वैद्य समाज धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाता है।

3. पूजा-पाठ से घर में होता है धन का वास

भारतीय संस्कृति की बात करें, तो यहां त्योहारों में पौराणिक कथाओं का विशेष महत्व है। धनतेरस भी ऐसा ही पर्व है। दीपावली से ठीक दो दिन पहले मनाए जाने वाले इस त्योहार का संबंध मां लक्ष्मी से है। इसके अलगे दिन छोटी दीपावली और फिर दीपावली को देश में धूमधाम से मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं में मां लक्ष्मी को धन और संपदा की देवी कहा गया है। कहते हैं कि उनकी कृपा जिन पर हो जाती है, उन्हें इस संसार की सभी खुशियां मिलती हैं। तभी तो भक्त धूमधाम से मां की पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि धनतेस के दिन आप जो कुछ खरीदते हैं, वह आपके जीवन में शुभ बनकर आता है। कहते हैं कि इस दिन पूजा-पाठ और खरीदारी से स्थायी रूप से धन का वास हो जाता है।

4 . यह है पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं की बात करें, तो कहते हैं कि एक बार भगवान विष्णु मृत्यु लोक की ओर आ रहे थे। ऐसे में मां लक्ष्मीजी भी उनके साथ चलने को तैयार हो गईं। ऐसे में भगवान ने कहा कि आप मेरा कहना मानेंगी, तो आप मेरे साथ चल सकती हैं। इसे मानने के बाद भगवान के साथ वह भी पृथ्वी लोक आ गईं। वहां पहुंचकर भगवान विष्णु ने दक्षिण दिशा में जाने की इच्छा जताई और लक्ष्मीजी को स्थान विशेष पर रुकने को कहा। इसके बाद वे दक्षिण दिशा में चल दिए।

मां लक्ष्मी के मन में उस दिशा में जाने की जिज्ञासा हुई और वह चुपके से प्रभु के पीछे चल दीं। वहां पर उन्होंने एक किसान के खेत से सरसो का फूल लेकर श्रृंगार किया और गन्ने का रस पीया। ऐसा करते समय भगवान विष्णु ने उन्हें देखकर क्रोध में शाप दिया कि किसान की 12 वर्ष तक सेवा करें। लक्ष्मीजी के वास से उस किसान का घर धन से भर गया। 12 साल बाद जब प्रभु उन्हें लेने आए, तो किसान ने उन्हें जाने देने से मना कर दिया।

तब माता लक्ष्मी ने उस किसान से कहा कि तेरस के दिन घर को अच्छे से साफ करके रात में घी का दीपक जलाओ। एक तांबे के कलश में रुपए और पैसे भरकर शाम को मेरी पूजा करो। ऐसा करने पर मैं साल भर तक तुम्हारे साथ रहूंगी। ऐसा करने पर किसान के घर मां के आशीर्वाद से धन रहा। ऐसी मान्यता है कि तब से तेरस के दिन धन की देवी की पूजा की परंपरा शुरू हुई और आज भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

5. जानिए धनतेरस की दूसरी कथा

एक दूसरी कथा के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। वे अमृत मंथन से उत्पन्न हुए। जन्म के समय उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। यही कारण है कि धनतेरस के दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए बर्तन खरीदा जाता है। देश के सभी छोटे-बड़े बाजारों में बर्तनों की दुकानें सजती हैं और लोग अपनी क्षमता के अनुसार बर्तन खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस विशेष अवसर पर आप जिन वस्तुओं की खरीदारी करते हैं, उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है।

6. यम की पूजा का भी है विधान

कथाओं में यह भी जिक्र है कि चांदी को चंद्रमा के समान माना जाता है। चंद्रमा को शांत माना जाता है। इससे जीवन सुख समृद्धि के साथ ही मन शांति आती है। भगवान धनवन्तरि को चिकित्सा का भी देवता माना जाता है। उनकी विधिवत पूजा करने से शरीर निरोग रहता है। एक पौराणिक कथाओं के अनुसार धनतेरस पर विधि पूर्वक पूजा करने और दीप दान करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा भी मिल जाता है। इसलिए भगवान यम की पूजा का भी विधान है।

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7. जानिए पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त, इस तरह करें लक्ष्मी पूजा सच्चे मन से करें मां से प्रार्थना

धनतेरस की पूजा करते समय शुभ मूहुर्त का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इस दिन सच्चे और पवित्र मन से ही देवी-देवताओं का पूजन करने से जीवन में सफलता आती है। आप अपनी क्षमता के अनुसार कुछ नया खरीदें और मां से प्रार्थना करके कहें कि अगले साल आपको इस योग्य बनाएं कि आप अपनी इच्छा के अनुसार सामान खरीद सकें। इसके लिए ईमानदारी से की हुई कोशिश से देवी आपके ऊपर प्रसन्न होंगी और आपके ऊपर भी धन वर्षा जरूर होगी।


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